🌱*हमको तो इक भाया*🌱
🌱तैयार नहीं थे हम, तूफान मगर आया।
घबराये नहीं कुछ भी, गम की न कहीं छाया॥1॥🌱
🌱कश्ती ने साथ दिया, मस्ती ने साथ दिया।
नजरों में बसा था पिया, हर पल जिसका साया॥2॥🌱
🌱दिल की दीवारों पर, इतना सा ही लिखकर;
हैं दूर नहीं उससे, हैं इक, बस दो काया॥3॥🌱
🌱कितने भौंरों की बात करें, कितने गुलशन की बात करें?
फेहरिश्त बड़ी लम्बी, हमको तो इक भाया॥4॥🌱
.... (कोचीन बन्दरगाह पर, अप्रैल-2007 में)
🍃अशोक सिंह सत्यवीर'🍃
{गजल संग्रह-'मछली पर रेत, रेत में गुल' से}
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