बदली दुनिया लगा रही है,
बचपन की यादों पर पहरे।
जिन यादों में छुपे हुए हैं
प्रेरक शब्द, अर्थ ले गहरे।।1।।
चतुर बन गये जब से हम सब,
मुखड़ों से बिछुड़ीं मुस्कानें।
बेशर्मी से करें शिकायत,
देते हैं दुनिया को ताने।।2।।
फिर से दें आवाज आज,
फिर कहावतें वे बचपन की।
धन्यवाद मेरे प्रिय मित्रों ,
आज मिली सुधि उस धन की।।3।।
अशोक सिंह सत्यवीर
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