पूरी ग़जल-
शिकायतों के इन लफ्जों में,
दिखती मन की मधुर लगन।
जाने की दर्दीली बातें,
प्यार दिखाऐ धुन में मन।।१।।
जाने की अब नहीं जरूरत,
क्योंकि हुए ज़ाहिर ज़ज़्बात।
फूलों में संदेश छुपा जो,
पढ़ो उसे निभ जाये बात।।२।।
घबराहट अब विदा हो चुकी,
मन की मुश्किल है अब हल।
अपनेपन की खबर मिल गयी,
अब तो होगा अच्छा कल।।३।।
दिल में अब दीदार हो रहा,
दिलवर का अब पता मिला।
अँगड़ाई की रस्म कह रही,
सूनेपन में फूल खिला।।४।।
'सत्यवीर' अब उसी दर्द में,
प्रीतम की ख़ुशबू पायी।
बेग़ानी दुनिया है पर अब,
काँटों में मस्ती पायी।।५।।
[ग़ज़ल संग्रह- 'मछली पर रेत और रेत में गुल' से]
(गायिका : रत्ना लोचन)
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